Saturday 31 August 2013

वो  प्यारे दिन अपने अब  लौट न पायेंगें
अब यादों में सिसक सिसक हम आंसू और बहायेंगें

बचपन में माँ के हांथों का अमृत सा रस  प्यारा था
रात की लोरी पर माँ के पहला अधिकार हमारा था

सुबोह शुरू माँ की थपकी से रात भी माँ ही सहारा था
देख मुझे वो खुश हो जाती,लल्ला,लाल मुझे कह लाती
गुड्डों से गुड़ियों की बातें, नए तरीके वो आजमाती
रोते मुझको देख ज़रा भी, आंचल से अपने लिपटाती

मेरे नखरे ,मेरे ताने ,मेरे सब किस्से मनमाने
सब कुछ  सहती ,हँसती रहती
माँ से माँ तक दिल से जाँ तक मैं आँखों का तारा था
रात की लोरी पर माँ  के पहला अधिकार हमारा था

माँ की हर इच्छा में मैं था ,माँ के हर सपने में मैं था
माँ की हर वाणी से  बेटा ,माँ की ही गोदी भी तय था
दुनिया में आने से पहले माँ ,को  कोख से ,प्यारा था
माँ की हर ममता पर अब पहला अधिकार हमारा था

किस्से भी वो खूब सुनाती, हर किस्से में राजा बनाती
अगर सवारी भी मांगूँ तो खुद ही वो घोड़ा बन जाती
मेरी आहट पे मुस्काती ,मेरे क़दमों पे इतराती
मेरी हर मुस्कान ने  ही माँ की मुस्कान सवांरा था
माँ की हर ममता पर अब पहला अधिकार हमारा था

थोड़ी सी जब समझ थी आयी,एडमिशन मेरा कर वायी
मस्त हुआ तब  यारी में पड़ती माँ ज़िम्मेदारी में
मैं ही उसका राजा था, उसकी आँखों का तारा था
माँ की हर उम्मीदों का मैं ही मैं एक सहारा था

मन से रोज़ मुझे नहलाना ,थक जाऊं तब पाँव दबाना
अगर चिढ़ा दे कोई मुझको ,माँ का तब उससे लड़ जाना
मुझको हर शेखी करवाना ,पा की डांट से मुझे बचाना
अगर शरारत ज्यादा होती ,तब मेरे लड़कपन का बहाना

हाय ! कितना प्यारा था वो बचपन ,कितनी अच्छी  वो मनमानी
अब इस जीवन में न जाने कब होगी फ़िर वो शैतानी
बचपन की यादों का कुछ तो किस्सा लाया हूँ
माँ की ममता का एक छोटा हिस्सा लाया हूँ

माँ ने कितना त्याग किया है,माँ ने क्या बलिदान दिया  है
माँ की ममता माँ ही जाने,और कोई कैसे पहचाने
माँ की हर आहट को भी वैसे उनका बच्चा पहचाने
तभी समर्पित माँ जीवन को थोडा कुछ हम दे पाएँगें
नहीं तो यारों फिर कैसे हम इतनी प्यारी माँ पायेंगें
नहीं तो यारों फिर कैसे हम इतनी प्यारी माँ पायेंगें

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