Thursday 22 August 2013

मुझे तो खवाब में भी गलतियाँ दस्तूर न करना 
अजी जब प्यार है तुमसे तो फ़िर मगरूर क्या रहना 
इल्ज्ज़ामे जुल्म तो हम हर वख्त दीदार करते हैं 
हमें गुरुर है की हम तेरे  अस्ख से  भी  प्यार करते हैं 

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