ए माँ
तू इतनी अच्छी क्यूँ है !!
ए माँ ..
तेरी ममता मुरझाई कली मे भी जान डाल दे
इतनी सच्ची क्यूँ है!
ए माँ..
तू इतनी अच्छी क्यूँ है!!
तेरे सीने से लिपटकर आँसू बहना.
तेरे हन्थो मे अमृत का गहना,
थी पहचान नही माँ मुझको,
है अभिमान अभी माँ तुझपे, की
ए माँ ...
तू इतनी अच्छी क्यूँ है!!!
वो बचपन की शरारते,
तेरी प्यारी प्यारी लॉरी,
वो रूठना-मनाना,
और कभी कभी ,
तेरा गुस्सा दिखाना,
शिकायत की धमकी से
हमको मनाना..
फिर बहला फुसला के,
दूध का ग्लास
पिलाने की इच्छा से लाती थी पास,
कभी पी लेना आँखे छुपाके,
कभी कभी फेंक देना
नज़रें बचा के..
बहुत याद आता ,
हमे गम सताता,
माँ...
तू इतनी अच्छी है...
ए माँ..
आँखों में आँसू आज और भी,
पर बहते नही
तेरे आँचल की वो ठंढक ,
महसूस नही होती
जो कभी....
ए माँ.....
प्यारी माँ....
तू इतनी अच्छी क्यूँ है !!
ए माँ ..
तेरी ममता मुरझाई कली मे भी जान डाल दे
इतनी सच्ची क्यूँ है!
ए माँ..
तू इतनी अच्छी क्यूँ है!!
तेरे सीने से लिपटकर आँसू बहना.
तेरे हन्थो मे अमृत का गहना,
थी पहचान नही माँ मुझको,
है अभिमान अभी माँ तुझपे, की
ए माँ ...
तू इतनी अच्छी क्यूँ है!!!
वो बचपन की शरारते,
तेरी प्यारी प्यारी लॉरी,
वो रूठना-मनाना,
और कभी कभी ,
तेरा गुस्सा दिखाना,
शिकायत की धमकी से
हमको मनाना..
फिर बहला फुसला के,
दूध का ग्लास
पिलाने की इच्छा से लाती थी पास,
कभी पी लेना आँखे छुपाके,
कभी कभी फेंक देना
नज़रें बचा के..
बहुत याद आता ,
हमे गम सताता,
माँ...
तू इतनी अच्छी है...
ए माँ..
आँखों में आँसू आज और भी,
पर बहते नही
तेरे आँचल की वो ठंढक ,
महसूस नही होती
जो कभी....
ए माँ.....
प्यारी माँ....