" इश्क़ के दरिया में बह कर हम एक किनारा ढूंड लेंगे, तुम अगर जो साथ मेरे तुम जो हर पल पास मेरे "
Monday 3 August 2015
अगर आरज़ू की ज़रूरत नहीं है
तो ज़नाजे से बेहतर कहाँ ज़िंदगी है
Sunday 2 August 2015
हमारी याद में आओगे तो
अब दिल खोल के लिख दूँ
मगर ज़ज्बात हैं ऐसे
की अब रोया नहीं जाता।
मगर इंसाफ की बातें
बड़ी तक़लीफ़ देतीं हैं.
तुम्हारे नूर की आदत
ने हमको जो न छोड़ा था
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