Monday 4 August 2014

ए पंक्षी देख ले ,
दुनिया की रश्मेँ छूटती हैं
उड़ा चल इस जहाँ के आसमां में
तू क्यूँ अब रात के साये से डरता है

ए पंक्षी देखता क्या है !!
जहाँ खाली पड़ा है
लगा दे जोर अब कुछ
भी बचा जो बाज़ुओं में

समय की माँग है तैयार कर
खुद को पथिक बन साहसी
तुझे संशय की सीमा से निकल...
नया इतिहास रचना है 

Saturday 26 July 2014

हो मुक्कमिल देश में ,खुद गर्ज़ राहें न सही
दूर दिखता आसमाँ ,तारोँ कि बाहें न सही
कह दो उस  तकदीर से ,दीदार तेरा दूर जो 
आ गए अपनी खुदी ,इतिहास ही लिख डालेंगें 

Saturday 10 May 2014

हर दुःख को खुद ही लेकर माँ ,कितना प्यार जताती है
बच्चों के हर ताने सहती  ,माँ तब भी मुस्काती है
माँ को चाहे मदर कहो या कह दो खुशियाँ धाम
हे श्रिस्टी की प्यारी अम्मा बारम्बार प्रणाम

कुछ विडम्बना है समाज की ,बढती चिंता है जो आज की
माँ  अंधियारे जीवन में जब  खुद ही दीप जलाती है
फिर भी चेहरे पे खुशियाँ ले हर गम को  पी जाती है
अब लफ़्ज़ों में क्या लिखूँ  पाऊँ ,तुझमें बसते राम
हे  श्रिस्टी में प्यारी अम्मा बारम्बार प्रणाम


Thursday 24 April 2014

ज़माने की लगता नज़र लग गई है
बहुत साल बीतें हैं खुशियों के मेले 
मोह्हबत की राहों में ,भटकने की इच्छा तोह  न थी
पर मंज़िल का ठिकाना ,गुजरा ही उधर से 

Friday 4 April 2014

जीत गए जंग अब निशान एक  बाकी है
"इंडिया" अब आखिरी इम्तिहान एक बाकी है

शोर करे दुनिया तो हौंसला भी पायेंगें
कप की  ही बारी है जीत कर के लायेंगें

अब धुरंधर ही दहाड़ें बांग्ला मैदान पर
जीत कि खुशबु ही दीखती धरती माँ कि शान पर

पर आखिरी दशा का इम्तिहान अभी बाकी है
जीत गए जंग अब निशान एक बाकी है 

Sunday 23 March 2014

समय के साथ चलते हैं ,समय के फेर से पहले
नहीं कुछ चाह रहती है मगर हर चाह में तेरे
ये जीवन भर चलेगी जो कहानी है बनी कुछ ही पलों के साथ में
जो गर कुछ याद न आये ,तो ये यादें, हर पल साथ रहेंगीं मेरे  
दिल की आरज़ू ये पुकार करती है
परिंदों को पाने का ऐतबार करती है
जहाँ भी लगता है कभी तो बहुत छोटा सा
कभी ये ज़िंदगी इस जहाँ पे मरती है 

Saturday 22 March 2014

आप आये तो जाने का बहाना भी साथ लाये
ये सुन ज़रा साँसें थमी सी हैं
इश्क़ की नाज़नीं को इन्साफ के
तरज़ूओंं ने तोल डाला है
ये सोच ख़वाहिशों में मची
ज़रा खलबली सी है  

Friday 21 March 2014

सोच की थाह नहीं मस्तियों कि परवाह नहीं
जीने की कला तो बस समुन्दर से पायी है
 

Friday 28 February 2014

रहे सोच ऐसी इरादा अटल हो
तो मौसम का रुख भी सदा मोड़ देंगें
दुवाएँ हों सबकी ,सही रास्ता हो
तो जहाँ के हर जीवन को
"हम" सब जोड़ देंगें 

Monday 10 February 2014

अरमान दिल के कह दो ,
उस नूर को सज़ा लो
इस प्यार की घडी में
अब दिल को तुम लगा लो

बनता नया ये अवसर
दिखता नया सवेरा
हम सब हैं एक आशिक़
जब इल्म  एक घेरा

इज़हार ही मोह्हबत
का एक रास्ता है
न  डर की, ज़िंदगी का
बस  एक वास्ता है

कितनी भी घड़ियाँ आएँ
कितने भी रहगुज़र हों
हर प्यार  के मुसाफिर
के  एक रास्तें हों

बस कामना यही  है
मकसद भी यही है
मिलते रहें अब दिल यूँ
तमन्ना   यही है





तेरी दुनिया के आगे ,सब अँधेरा सा है
तेरी छाया के सिवा यहाँ 
बिखरे बिखरे हालातों का पहरा सा है
माँ पा अब दिल के हर कोने से
बस तेरी ही आरज़ू करता हूँ
बस ज़िंदगी भर तू साथ रहे ,तो
न ही मैं दुनिया ,न ही दुनिया के
 किसी भी हालातों से डरता हूँ 

Friday 7 February 2014

एक फूल सा क़तरा खिलता है
जीवन को सुमुधुर बोने को 
तुम खिलते रहो कमल जैसे
अपने हर ख्वाब संजोने को

happy ROSE day to all dear frns....

Monday 3 February 2014

हे शुभ्रज्योत्स्ना ,कमलासिनी,हंसवाहिनी
हे विद्या देवी सरस्वती
हे माँ चरण वंदना
तेरी चरण वंदना

मन के विकार को दूर करें
अब वर दो हम न भूल करें
बस जीवन अर्पण कर जाएँ
तेरी ही कृपा में ढल जाएँ

बस सफलता जीवन साथ रहे
चंचल मन तेरा दास रहे
करते जाएँ आह्वान तेरा
ताजीवन ही गुणगान तेरा
चरण वंदना माँ चरण वंदना 






Saturday 25 January 2014

हर पीर फ़कीर इलाही से 
आरज़ू चमन की चाह नहीं 
बस चाह सदा हर खवाबों से 
इस वतन के आगे राह नहीं 
वंदे मातरम जय भारत 
जय हिन्दोस्तान ..
मुझे हक़ तो नहीं है तहक़ीक़ात का
पर भरोसा कैसे पाऊँ आज़ादी कि सौग़ात का
जहाँ हम  आज़  भी पराधीन हैं विवसता की ज़ंज़ीरों में
हम  दुबके रहते हैं अपने अपने पीरों में
जहाँ में आज भी खुशियाँ
वतन के शान में चर्चे
दिखावे हो गए हैं
हमारे देश के नेता
दिलाते प्यार की कसमें
छलावे हो गए हैं

सलामी औ मंच से ये बात हो नहीं सकती
अब आदर्शों के इस राष्ट्र  को
विचारों की कमी खलती है
झूठें वादों से ,अनेक इर्रादों से
इनकी जड़ें हिलतीं हैं
उपदेश से अच्छा तो
उद्देश् होना चाहिए
इस गणतंत्र दिवस पे
ऐसा भेष होना चाहिए 

Tuesday 21 January 2014


अगर मायूस हो खुद से
तो थोड़ी गुफ़तगू कर लो
मोह्हबत में सितमगर
ही मुलाकातें बढ़ाते हैं
निशाँ अपनी कहानी का
वो अक्सर छोड़ जाते हैं
वफ़ा की आरज़ू करलो 
तो सपनें टूट जाते हैं
जो तुम मायूस हो खुद से 
तो अपने रूठ जाते हैं
इसी छोटी से दुनिया की
बड़ी लम्बी कहानी है
कोई समझे तो सागर है
नहीं बारिश का पानी है

Thursday 16 January 2014

इस ज़िंदगी में मौला
हसरत  ही खो गई है
खुद ही पता नहीं है
बेनाम हो गई है 

Sunday 5 January 2014

हे ईश्वर
ऐसा क्यूँ होता है
कोई भरोसा क्यूँ खोता है

क्यूँ परवाह नहीं होती है
उसको चाह नहीं होती है
ऐसे नाते अब मत देना
ऐसे ही रिश्ते क्यूँ जग में

ऐसे जीवन के अंधियारे
ऐसे सपनों से बेचारे
मुझसे अब तो दूर हटा दो

मैं सच्चा हूँ सब रिस्तों में
मैं कच्चा हूँ हर डोरी में
ऐसी मर्यादा के अब बंधन
से आज़ादी ही दिलवा दो

दुःख होता है आशाओं से
सपनों कि सौगंध सजाये
मैं ही हर रिश्ते ढोता हूँ

दुःख होता जब इस बन्धन से
दिल ही दिल में मैं रोता हूँ
ऐसे रिश्ते न मिल पायें
ऐसे दर्द सहे जाएँ
हे प्रभु तुम ही तार करा दो
ऐसे रिश्तों से उजियार करा दो 

Friday 3 January 2014

नए तरंगों को छूने को 
अब तेरा आग़ाज़ हुआ है 
स्वागत तेरा आज हुआ है 

नए साल का नया शोर है 
बीता कल जैसे कठोर है 
समय मांग है फिर छा जाना 
नए साल तुम ऐसे आना 

कुछ उम्मीदें हैं अब तुमसे 
उन सपनों में पंख लगाना 
नए साल तुम ऐसे आना
दिल मेरा यूँ ही घबराए
कोई गुज़ारिश न हो पाये
दुःख के आँसू सब दे जाते
इन पलकों को कौन हंसाए