Tuesday 21 January 2014


अगर मायूस हो खुद से
तो थोड़ी गुफ़तगू कर लो
मोह्हबत में सितमगर
ही मुलाकातें बढ़ाते हैं
निशाँ अपनी कहानी का
वो अक्सर छोड़ जाते हैं
वफ़ा की आरज़ू करलो 
तो सपनें टूट जाते हैं
जो तुम मायूस हो खुद से 
तो अपने रूठ जाते हैं
इसी छोटी से दुनिया की
बड़ी लम्बी कहानी है
कोई समझे तो सागर है
नहीं बारिश का पानी है

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