Sunday 23 March 2014

समय के साथ चलते हैं ,समय के फेर से पहले
नहीं कुछ चाह रहती है मगर हर चाह में तेरे
ये जीवन भर चलेगी जो कहानी है बनी कुछ ही पलों के साथ में
जो गर कुछ याद न आये ,तो ये यादें, हर पल साथ रहेंगीं मेरे  
दिल की आरज़ू ये पुकार करती है
परिंदों को पाने का ऐतबार करती है
जहाँ भी लगता है कभी तो बहुत छोटा सा
कभी ये ज़िंदगी इस जहाँ पे मरती है 

Saturday 22 March 2014

आप आये तो जाने का बहाना भी साथ लाये
ये सुन ज़रा साँसें थमी सी हैं
इश्क़ की नाज़नीं को इन्साफ के
तरज़ूओंं ने तोल डाला है
ये सोच ख़वाहिशों में मची
ज़रा खलबली सी है  

Friday 21 March 2014

सोच की थाह नहीं मस्तियों कि परवाह नहीं
जीने की कला तो बस समुन्दर से पायी है