Thursday 19 December 2013

तोड़कर तेरी यादों को खेला नहीं
प्यार हर वक़्त दिल का झमेला नहीं
याद आयी तो कोई बहाना  नहीं
याद जाए तो दिल का ठिकाना नहीं 
वो सुर्ख फ़िज़ाएँ रौशन हैं
जिसमें तेरा दीदार हुआ
अब हवा की  खुशबु कहती है
मुझे  इसी जहन से प्यार हुआ

अफ़साने गीत सुनते हैं
सब मधुर मधुर ही गाते हैं
सपना बन जीवन तार हुआ
अब सुर्ख फ़िज़ाएं कहती हैं
मुझे इसु जहन से प्यार हुआ 

Tuesday 17 December 2013

दिल कि करून हुई भावना से कर पुकार
हांथ  की  लकीरें कामयाब हो जाएंगीं
फिरता है भटकते हुए आज जिन उमंगों पे तू
बाद तेरी मस्तियों का ख्वाब बन जायेंगीं

Friday 13 December 2013

पुराने ख़्वाब को ले के
नयी राहों पे चलता हूँ
फ़िज़ाएँ  ये नहीं कहतीं
कहीं गुमसुम पराया हूँ

हमें यूँ दर्द न होता
तुम्हीं से दूर जाने पर
अगर हम भूल ही पाते
तुझे ,मुझको भुलाने पर

यही तो प्यार था प्रियवर
जताया भी नहीं जाता
हो कैसा दर्द भी दिल में
बताया भी नहीं जाता  
हकीकत की  जुस्तजू में
मोह्हबत ही भुला बैठें हैं
अभी तक शोखियाँ जिनकी हमें
जायज़ नहीं लगीं थीं कभी
न जाने कैसे उन्हीं से
ये दिल लगा बैठें हैं

Wednesday 11 December 2013

हिम्मत ,हकीकत व् तरफ़दारी
बेनाम सिक्कों के कुछ पहलु हैं
जो आसान तो नहीं ,पर जरुरी हैं

जरुरी हैं उन ख्वाहिशों के लिए
जिसको पाने की  ललक में
इंसानियत बदल जाती है

बदलते भी हैं तो  वो लोग
जिनमें बंदिशों की कुछ
गुंजाइश नहीं होती

ख़्वाब की दरख्त में इंसानियत को न तोल
ये ठोकरों से भी संभालती नहीं हैं
बहुत छोटी है दुनिया संबन्धों के लिहाज़ से
समेटने से पहले तू ही  सिमट पड़ेगा 

Sunday 8 December 2013

सुबह हुई है रात गई है
मौसम ने कुछ बात कही है
आँखें खोलो मुह तो धो लो
जीने का अंदाज़ वही है

जश्न ज़िंदगी में यूँ ही आते रहेंगें
प्यार वाले गीत गुनगुनाते रहेंगें
दोस्तियाँ ज़माने से कहीं बड़ी न हो जाएँ
यही सोच सोच दिल दुखते रहेंगें 
बादलों से ढूंढ कर पह्चान लो तुम्हारा हूँ
आज न मैं अनजान न ही आवारा हूँ
मदहोश कर जाती हैं अदाएँ इसीलिए
आज कल इन इल्ज़ामों का मारा हूँ

Saturday 7 December 2013

चमक देख चाँदनी परेशान  होती
हर दिलों में  ऐसी पहचान नहीं होती
माँगता हूँ खुदा से उसका नूर क्यूंकि
हर जश्नों में ऐसी जान नहीं होती

कुछ ऐसे भी चेहरे हैं
जिनके अल्फ़ाज़ों में
रंग ही सजता था

बदल गए अंदाज़ पुराने
उन शख्सों से आज पुराने
बदल न पायी जीवन की
बिसरी यादोँ का खेल नया

वो आज ज़माना छूट गया
उस रंग से रौनक रूठ गया
अब दिल की स्याही सूखी है
लगता किस्मत भी रूठी है 

चेहरे अनजान से लगते हैं
बिखरे अब जान से लगते हैं
स्याही का मोल समझ लेना
ये है अनमोल समझ लेना 

Monday 2 December 2013

उदास पलकों से आँखों में समंदर छा गए हैं
प्यार की इस बरसात में हम अकेले आ गए हैं
करके जीवन तार  तार वो  हमें देख मुस्काते हैं
हया छिपी है आँखों में फिर भी न ही शर्माते हैं

जब जीवन तुझपे वार दिया
तब अब कैसा इतराना है
जब हया छुपा के प्यार किया
तब फिर कैसा शर्माना है

बस लाज़  ज़माने से आयी
जो डर डर आँखें चार किया
वो शरम छुपा के भी मैंने
ये  दिल तुझको हर बार दिया

वो मोती चाहत के मैंने
तेरे ही नाम पिरोये हैं
जब याद नहीं तेरी आयी
तो ही बस याद में रोये हैं

तुम गैर कहो या आवारा
है प्यार तभी तुम खोये हो
तुम लाख छुपा लो दुनिया से
करके बदनाम भी रोये हो

तेरी हर बातें मुझपे ही
मेरी हर साँसें तुझपे ही
बस ऐसा ही ये लगता है
दिल तेरे नाम धड़कता है
दिल मेरे नाम धड़कता है