Monday 4 August 2014

ए पंक्षी देख ले ,
दुनिया की रश्मेँ छूटती हैं
उड़ा चल इस जहाँ के आसमां में
तू क्यूँ अब रात के साये से डरता है

ए पंक्षी देखता क्या है !!
जहाँ खाली पड़ा है
लगा दे जोर अब कुछ
भी बचा जो बाज़ुओं में

समय की माँग है तैयार कर
खुद को पथिक बन साहसी
तुझे संशय की सीमा से निकल...
नया इतिहास रचना है