Monday 10 February 2014

अरमान दिल के कह दो ,
उस नूर को सज़ा लो
इस प्यार की घडी में
अब दिल को तुम लगा लो

बनता नया ये अवसर
दिखता नया सवेरा
हम सब हैं एक आशिक़
जब इल्म  एक घेरा

इज़हार ही मोह्हबत
का एक रास्ता है
न  डर की, ज़िंदगी का
बस  एक वास्ता है

कितनी भी घड़ियाँ आएँ
कितने भी रहगुज़र हों
हर प्यार  के मुसाफिर
के  एक रास्तें हों

बस कामना यही  है
मकसद भी यही है
मिलते रहें अब दिल यूँ
तमन्ना   यही है





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