हो मुक्कमिल देश में ,खुद गर्ज़ राहें न सही
दूर दिखता आसमाँ ,तारोँ कि बाहें न सही
कह दो उस तकदीर से ,दीदार तेरा दूर जो
आ गए अपनी खुदी ,इतिहास ही लिख डालेंगें
दूर दिखता आसमाँ ,तारोँ कि बाहें न सही
कह दो उस तकदीर से ,दीदार तेरा दूर जो
आ गए अपनी खुदी ,इतिहास ही लिख डालेंगें
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