पापा की कसम
दुनिया से हैरान बहुत हूँ
चाहूँ तो
मगर छोड़ना
परेशान बहुत हूँ
लगता है मुझको ऐसे
सभी जानते बहुत हैं
कितना भी हों गुरुर
मगर मानते बहुत हैं
ये सोच तो थी झूठी
हुआ था जब खुलासा
अब आज न बचा है
देने कोई दिलासा
सब मस्त अपनी दुनियाँ
इकरार कर रहें हैं
हम आज तक ज़माने से
प्यार कर रहें हैं
चाहूँ तो
मगर छोड़ना
परेशान बहुत हूँ
लगता है मुझको ऐसे
सभी जानते बहुत हैं
कितना भी हों गुरुर
मगर मानते बहुत हैं
ये सोच तो थी झूठी
हुआ था जब खुलासा
अब आज न बचा है
देने कोई दिलासा
सब मस्त अपनी दुनियाँ
इकरार कर रहें हैं
हम आज तक ज़माने से
प्यार कर रहें हैं
No comments:
Post a Comment