Wednesday 21 August 2013

हे  माता
आपसे जोड़ना है हमको अपना नाता।  हे माता

हम बालक अज्ञानी हैं निस दिन नई कहानी है
जीवन है या पानी है नहीं  समझ ही आता  हे माता।

इच्छा है अपने जन से ,इस विचरण मन के  प्रण से
तेरा सुमिरन हर कण से ,मैं ध्यान धरूँ ,मैं भजन करूँ
तुझे पाने की बस ज़तन करूँ

हे शुभ्रज्योत्स्ना माता
हे माता 

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