मशक्कत मुक्कमिल हुई है अगर तो
ये सब तेरे ही रहमतों का करम है
नहीं गर्दिशें भी तो काबिल नहीं थीं
मिली आज इतनी हमें जो ख़ुशी है
इसी नाव के अब बनो तुम खेवैया
यहाँ सिर्फ फैला भरम ही भरम है
तूफां बहुत है शिकारी खड़े हैं
नहीं दिख रहा है कहीं भी किनारा
तुम्हारे सिवा अब कोई आस है न
नहीं कोई बचता हुआ भी है सहारा
नहीं दिख रहा है कहीं भी किनारा
तुम्हारे सिवा अब कोई आस है न
नहीं कोई बचता हुआ भी है सहारा
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