कहीं कोई न दिन ऐसा कहीं कोई न शाँ होगी
कहीं हम इश्क में बागी बने कहीं हमसे बगाँ होगी
समय की चोट है कितनी कोई कैसे बताएगा
जो डूबेगा तू दरिया में तभी तो पर पायेगा
कहीं हम इश्क में बागी बने कहीं हमसे बगाँ होगी
समय की चोट है कितनी कोई कैसे बताएगा
जो डूबेगा तू दरिया में तभी तो पर पायेगा
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