Wednesday 21 August 2013

 गुरु

चलो बन्दे गुरु की शरण धीरे धीरे
चलो बन्दे गुरु की शरण धीरे धीरे

तुम अर्पण करो अपना मन धीरे धीरे
तुम अर्पण करो अपना तन धीरे धीरे
चलो बन्दे गुरु की शरण धीरे धीरे

उन्हीं की शरण में
उन्ही के चरण में
ये जीवन लुटा दो
ये भ्रम सब हटा दो

समर्पण करो तुम बचन धीरे धीरे
चलो बन्दे गुरु की शरण धीरे धीरे

ये रिश्ते ये नाते सदा टूट जाते
न इनपे रखो भ्रम न इनपे करो श्रम
करो अपना जीवन  उन्ही के हवाले
वहीँ हमको तारें  वहीँ तो सवारें

वहीँ सारे जन्मों से जो हैं हमारे
समर्पण सभी अब उन्ही के हवाले
करो तुम सदा येवचन धीरे धीरे
चलो बन्दे गुरु की शरण धीरे धीरे

वे सृष्टी के ज्ञाता वे भाग्य विधाता
उन्ही से है आशा उन्ही की जिज्ञासा
लिए हम चले तब वरण धीरे धीरे
चलो बन्दे गुरु की शरण धीरे धीरे


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