Monday 26 August 2013

इन्सान के सीने में इंसानियत बची है
जम्हॊरित के रिश्तों पे तभी तो ख़ुशी है
आवाम चाहती है खुशबु ही हो फिज़ा में
आखिर क़दम बढ़ा क्या तेरा है इस दिशा में

कुछ कम करो अब वादे कर्तव्य को दिखावो
नेता चुने गए हो इस धर्म को निभावो
कुछ है ख्याल तुमको कितनों के हो पुजारी
तुम राष्ट्र हित को समझो
औ राष्ट्र हित निभाओ 

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