ऐसा मेरा तब हाल ना था ये दिल यूँ ही बेहाल न था
मैं अब शायर हूँ तब कवि था लेकिन ऐसे तब भी फटेहाल न था
इश्क के कानून ने मुजरिम बना दिया है
दर्द कुछ भी नहीं फिर भी दवा दिया है
मैं अब शायर हूँ तब कवि था लेकिन ऐसे तब भी फटेहाल न था
इश्क के कानून ने मुजरिम बना दिया है
दर्द कुछ भी नहीं फिर भी दवा दिया है
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