ज़माना हर कदम पे आज तेरे हमनशीं हैं
मुह्हबत की कहानी भी कहीं कुछ कम नहीं हैं
अगर तुम सोच के बैठे दीदारे आम ही होगा तो
दीवाने आज भी उनके वो वैसी दिलनशीं हैं
मुह्हबत की कहानी भी कहीं कुछ कम नहीं हैं
अगर तुम सोच के बैठे दीदारे आम ही होगा तो
दीवाने आज भी उनके वो वैसी दिलनशीं हैं
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