Wednesday 21 August 2013

ये दूरियाँ बढ़ती चली अब फांसले मिटते नहीं
यह सोच के इस ऒर से हर एक कदम छोटे पड़े
हम जोड़ लें हर बात को फिर से मिले जज़्बात यूँ
फिर से चलें सबके कदम मिलके हमेशा साथ  यूँ

सबमे यही हममें सही कुछ बात ही अच्छी मगर
इस बात से क्या मोल है इस प्रश्न से क्या तॊल है
जो साथ में न मिल सके जो प्रश्न से न खिल सके
जो हर घड़ी बदला करे जो है जहाँ झगड़ा करे

अब है बचा न वक़्त ज्यों बहता है अब भी रक्त यूँ
बस देखने में ही हमेशा साथ यूँ चलना  नहीं
जब है दिलों में सिलवटें तब साथ यूँ रहना नहीं

यह कुछ समय की बात है जैसे अँधेरी रात है
यह जान लें यह मान लें अच्छे मनुज पहचान लें
हर एक ख़ुशी इज़हार कर हर बात न तकरार कर 
अब भी समय है विचार कर न तोल  कर
न मोल कर बस दोस्तों से प्यार कर 

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