किसी चिलमन के आँचल से
बहारें हम ना देखेंगे
किसी बाहों के धागों से
वो झूले हम ना झूलेंगें
हमें तो हर घड़ी है साज़
उन जैसे अफसाने का
हमें तो आज भी नाज़
उन जैसा दीवाने का
बहारें हम ना देखेंगे
किसी बाहों के धागों से
वो झूले हम ना झूलेंगें
हमें तो हर घड़ी है साज़
उन जैसे अफसाने का
हमें तो आज भी नाज़
उन जैसा दीवाने का
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