Friday 16 August 2013

जिसको आँखों में बसाया  वो सुनहरी थी

हिम्मत  जुटा के पास गया  तो

दिखती छरहरी थी

दिल ने इज़हार किया

घुटनों पे बैठ जरा

हांथों को फैलाया था

दर्द अब बढ़ा था

जब रिस्पोंस कोई न पाया  था

झल्ला के जब उसके

 चश्में को हटाया था


हाय डर के

तब भागा

समझ अब कुछ आया था

बेचारी अंधी थी

जिससे इजहारे मोह्हबत

की दहलीज़ लाँघ आया था


2 comments:

  1. ye india ki khabar hai beedu
    awaz se bhi pahle aap tak
    bas ko check karten rahein .
    ;)

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