जिसको आँखों में बसाया वो सुनहरी थी
हिम्मत जुटा के पास गया तो
दिखती छरहरी थी
दिल ने इज़हार किया
घुटनों पे बैठ जरा
हांथों को फैलाया था
दर्द अब बढ़ा था
जब रिस्पोंस कोई न पाया था
झल्ला के जब उसके
चश्में को हटाया था
हाय डर के
तब भागा
समझ अब कुछ आया था
बेचारी अंधी थी
जिससे इजहारे मोह्हबत
की दहलीज़ लाँघ आया था
हिम्मत जुटा के पास गया तो
दिखती छरहरी थी
दिल ने इज़हार किया
घुटनों पे बैठ जरा
हांथों को फैलाया था
दर्द अब बढ़ा था
जब रिस्पोंस कोई न पाया था
झल्ला के जब उसके
चश्में को हटाया था
हाय डर के
तब भागा
समझ अब कुछ आया था
बेचारी अंधी थी
जिससे इजहारे मोह्हबत
की दहलीज़ लाँघ आया था
Good one dost!!!!
ReplyDeleteye india ki khabar hai beedu
ReplyDeleteawaz se bhi pahle aap tak
bas ko check karten rahein .
;)