महफिले गुलजार की बातों में न आइएगा
ये ज़माने से मुर्रौवत छीन लेतें हैं
इनके खवाबों में कभी मत जाइएगा
ये अपनों की खुशियाँ भी समेट लेतें है
इन्हें परवाह केवल खव्वाब हैं
औ उन्हें पाने की ललक
पर भूल गए ये
कुछ पाने के लिए
कुछ होना तो चाहिए
मुक़ाम कितने भी
हांसिल हो जाएं
शोहरत कितने भी
ये पा जाएँ पर दर्द
बाँटने के लिए
किसी के दिल में
एक कोना तो चाहिए
ये ज़माने से मुर्रौवत छीन लेतें हैं
इनके खवाबों में कभी मत जाइएगा
ये अपनों की खुशियाँ भी समेट लेतें है
इन्हें परवाह केवल खव्वाब हैं
औ उन्हें पाने की ललक
पर भूल गए ये
कुछ पाने के लिए
कुछ होना तो चाहिए
मुक़ाम कितने भी
हांसिल हो जाएं
शोहरत कितने भी
ये पा जाएँ पर दर्द
बाँटने के लिए
किसी के दिल में
एक कोना तो चाहिए
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