आँखे कह रही हैं क्या
इसकी पहचान चाहिए
ज़िंदगी जीने के लिए
क्या धरती, क्या आसमान चाहिए
खुदा के नूर पे भी आज ऐतबार ना रहा
कह दो उनसे की
उनकी साए से भी अब प्यार ना रहा
इसकी पहचान चाहिए
ज़िंदगी जीने के लिए
क्या धरती, क्या आसमान चाहिए
खुदा के नूर पे भी आज ऐतबार ना रहा
कह दो उनसे की
उनकी साए से भी अब प्यार ना रहा
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