अगर दुःख दर्द न होता
तो हम मशगूल ही रहते
किसी की याद न आती
कहीं के शूल न रहते
ये दर्दे इन्तेहाई का
फ़कत इलज़ाम ले डाला
किसी के प्यार में पड़कर
कहीं का जाम ले डाला
तो हम मशगूल ही रहते
किसी की याद न आती
कहीं के शूल न रहते
ये दर्दे इन्तेहाई का
फ़कत इलज़ाम ले डाला
किसी के प्यार में पड़कर
कहीं का जाम ले डाला
No comments:
Post a Comment