खता इतनी कहाँ होगी
जो तुम बदनाम करती हो
अभी जब इश्क में हारें हैं
तब गुमनाम करती हो
हो तुम मगरूर इतना जो
कभी तो बाज भी आओ
कभी ऐसे किसी दिल में
तमन्ना मत जगा जाओ
नहीं तो फिर खताएँ क्या
वफायें भी नहीं होंगीं
ये पतझड़ बीत जाएगा
हमारे प्यार का सावन
कभी न लौट पायेगा
अगर हम जिद नहीं करते
तो ज़िम्मेदार तुम होती
अभी तक तुम किसी
आशिक के दिल की वार तब होती
हमारे हाँथों की लकीरें भी
बेकरार सी बनकर
तेरा ही इंतज़ार करती हैं
खुद से ही तकरार करतीं हैं
जो तुम बदनाम करती हो
अभी जब इश्क में हारें हैं
तब गुमनाम करती हो
हो तुम मगरूर इतना जो
कभी तो बाज भी आओ
कभी ऐसे किसी दिल में
तमन्ना मत जगा जाओ
नहीं तो फिर खताएँ क्या
वफायें भी नहीं होंगीं
ये पतझड़ बीत जाएगा
हमारे प्यार का सावन
कभी न लौट पायेगा
अगर हम जिद नहीं करते
तो ज़िम्मेदार तुम होती
अभी तक तुम किसी
आशिक के दिल की वार तब होती
हमारे हाँथों की लकीरें भी
बेकरार सी बनकर
तेरा ही इंतज़ार करती हैं
खुद से ही तकरार करतीं हैं
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