कुछ और कभी भी कहो न कहो
अब लफ़्ज़ों से बस हाँ कह दो
मिट जाएगें दस्तूर सभी
मन में बैठे जो पीर कभी
बातें भी फिर हो जायेंगीं
रातें वैसे ही गायेंगीं
फिर वैसे ही मिलना होगा
अरमानों को खिलना होगा
हम फिर तेरी मुस्कानों पे
घायल वैसे हो जायेंगें
फिर सारे नाजों नखरों को
हम और भी ख़ुशी उठायेंगें
अब हाँ कह दो
बस हाँ कह दो
अब हाँ की कुछ
कीमत चाहो तो
और कहीं तुम ना कह दो
लेकिन बस अब
केवल हाँ कह दो
अब लफ़्ज़ों से बस हाँ कह दो
मिट जाएगें दस्तूर सभी
मन में बैठे जो पीर कभी
बातें भी फिर हो जायेंगीं
रातें वैसे ही गायेंगीं
फिर वैसे ही मिलना होगा
अरमानों को खिलना होगा
हम फिर तेरी मुस्कानों पे
घायल वैसे हो जायेंगें
फिर सारे नाजों नखरों को
हम और भी ख़ुशी उठायेंगें
अब हाँ कह दो
बस हाँ कह दो
अब हाँ की कुछ
कीमत चाहो तो
और कहीं तुम ना कह दो
लेकिन बस अब
केवल हाँ कह दो
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