Saturday 17 August 2013

साथी अभी तो बहुत मुस्कुराना
अभी भी बचा है बहुत सा ठिकाना
ये नज़रें जो तेरी जरा झुक गईं तो
बहुत ही कठिन सा लगेगा ज़माना
साथी अभी तो बहुत मुस्कुराना

हुआ जो न तेरी वफाओं का साथी
वो आगे नहीं हो सकेगा किसी का
किसी के भी आंचल की परछाहियों को
वो शामिल नहीं कर सकेगा उसी सा 

ये मौसम  ,फिसाएं कभी कम न होंगीं
तनिक मिल गया जो तुझे तेरा ताना
तुझे तो अभी भी बहुत साथ देंगें
तुझे तो अभी भी बहुत दूर जाता
साथी अभी तो बहुत मुस्कुराना






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