ले कर के आशाएं निकले थे घर से हम
बचपन से कॉलेज में पढने की इच्छा थी
घर वालों को भी इसी समय की प्रतीक्षा थी
बेटा मेरा नाम करे जग में कुछ काम करे
जीवन के पहलू को यूँ ना बदनाम करे
पर हम्मे थी कुछ आशा हम्मे थी कुछ इच्छा
कॉलेज जाने की हमको भी थी परतिक्षा
मेरे कुछ सपने हैं मेरे जो अपने हैं
मेरे उन सपनों को पूरा तो होना है
उनको अब सेना है
उनको अब माला में मोती सा पिरेना है
यही मेरी आशा है
यही मेरी इच्छा है
मेरे इसी पल को
मुझे समय से प्रतीक्षा है
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