Tuesday 20 August 2013

कुछ.
दिल से
निकालें ज़रूर
पर दिलवाले भी तो चाहिए
कद्र देने  के लिए
कहीं कदरदान
भी तो पाइए

ये दुनिया है
मेरे दोस्त
कीमत के बदले ही
कीमत की जाती
मुफ्त के दानी  भी
खैराती ही कहलातें

खून पसीने की कमाही पे
भी  दुसरे ही  हक़ जताते
राम ,रहीम ,नानक,पैगम्बर
के ज्ञान को अपने ढंग से फैलाते

दुनियां में बस कद की इच्छा
ले कर आए जीने वाले
खद तो भूलें हैं जग अपना
कुछ भुलवाते पीने वाले

वो भूल गए इतना भी सब
जीना आखिर तो क्यूँ  जीना ??
आखिर मकसद तो एक वही
औ एक ही वही  हमारा है

फैला जो हर दिन द्वेश नया
उसको ये कुछ न प्यारा है
पर भुल गयें क्यूँ आज सभी
उसने ही सब का ध्यान रखा

जीने की हर दिन दी इच्छा
कितना हर पल स्नेह दिया
ये धर्म नहीं है अलग कहीं
बस राहें अलग  हैं पाने की

 हम जीवों को उस ईश्वर से
ये नई दिशा है  मिलाने की
 खोला है उसने पथ अनेक
 अपने में लगन लगाने की

मिलने के लिए उस ईश्वर से
तब दिल से ही आवाज़ करो
वो ही है जो पहचानेगा
वो ही जो तुमको मानेगा





No comments:

Post a Comment