कविताएँ लाइक करने की
इतनी अच्छी आदत सबकी
मैं उनको शीश झुकता हूँ
क्या दुवा करूँ रब से उनकी
बस इतना ही
दोहराता हूँ
कि उन सब की फेसबुक खुलते ही
वायरस का ऐसा जाल
मिले
मैट्रिक्स भी उनसे शर्म खाए
मैट्रिक्स भी उनसे शर्म खाए
हैकर्स
की चाँदी जाए
कुछ ऐसा उनको
नाल मिले
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