Tuesday 20 August 2013

कविताएँ लाइक करने की
इतनी अच्छी आदत सबकी
मैं उनको शीश झुकता हूँ
क्या दुवा करूँ रब से उनकी
बस इतना ही दोहराता हूँ
कि उन सब की फेसबुक खुलते ही
वायरस का ऐसा जाल मिले 
मैट्रिक्स भी उनसे शर्म खाए 
हैकर्स  की चाँदी जाए 

कुछ ऐसा उनको नाल मिले







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