शिकायत करते तो शायद पत्थर इतने मज़बूत न होते
किसी के दिल को तोड़ कर इतने मदहोश न होते
ये तो शीशे की खुशनसीबी है की वो पत्थर से ही टकराता है
वर्ना तोड़ने के लिए ज़माने की ठोकरें ही काफीं हैं
किसी के दिल को तोड़ कर इतने मदहोश न होते
ये तो शीशे की खुशनसीबी है की वो पत्थर से ही टकराता है
वर्ना तोड़ने के लिए ज़माने की ठोकरें ही काफीं हैं
No comments:
Post a Comment