Wednesday 21 August 2013

मुझको कुछ
लिखना न आता
माँ तेरा जो साथ न भाता

तेरी  बुद्धि
तेरी  वाणी
तेरी  श्रद्धा
तू ही ज्ञानी

बस मैं माँ
एक सहारा हूँ
तेरी भक्ति का प्यारा हूँ
कदम कदम पे
तुझको ध्याऊँ
तेरी भक्ति
का गुण
पाऊँ

मैं
हरदम
बस भजता
जाऊँ
ये
माँ
तुझसे
ही वर पाऊँ

जीवन
तेरी
शरण में बीते
बल, बुधि ,विद्या से ही प्रीते
हरदम ऐसा मैं गुण पाऊँ
तेरे स्नेह से सदा नहाऊँ

No comments:

Post a Comment