त्योहार है
रक्षा का पर
क्या हम कर पायेंगें ???
सवाल बड़ा
सीधा है
जवाब भी टेंढा नहीं
पर दे तो कौन
बहस करें तो सब मौन
ये व्रत का समय नही है
पुकार है उन सब अबलाओं की
जो असहाय थीं समय पे
आज भी हम सब से
असहाय ना हो जायें कहीं
गर हर भाई अपने बहनों
की तरह दूसरे की भी
इज़्ज़त करना सीख ले
इससे बढ़ कर कोई तोहफ़ा
किसी बहन के लिए नही होगा
औ रक्षा बंधन की भी सार्थकता भी
सही मायनों में सिद्ध हो पाएगी
No comments:
Post a Comment