Friday 23 August 2013

ये अपने कॉलेज की लाइफ
ये अपने कॉलेज की लाइफ

दोस्तों के संग कॉलेज जाना
बीच सफ़र में हंसी उड़ाना
हंसी उड़ना  हंसी उड़ाना
रूठ गए जो उन्हें मनाना

कॉलेज में टीचर बन जाना
बँकिंग क्लासेज खूब चलाना
रोज़ नए नित देना बहाना
फिर बच्चों का हमें सताना

C.T. में चीटिंग करवाना
चीटिंग से चैटिंग का बहाना
ले के उसकी नज़र में आना
नज़रों से जब नज़र मिली तब

फिर न पूछो क्या हो जाना
दोस्तों का फिर ख़्वाब दिखाना
उन ख्वाबों में फिर जी पाना
मुश्किल कितना था मर जानां

शुरू हुआ दिन भागम भागी
टेंशन ही बस है जो आती
कभी कहीं हम कुछ भूल आये
कभी कहीं से कुछ ले आये

उसकी फाइल इसकी कॉपी
उसकी पेन ने इसकी  नापी
यूँ  होती फिर नई शुरुवात
मस्ती होती अपनी बात

हर एग्जाम के बाद जो जीना
मस्ती में फिर खुल के पीना
आँखों से कुछ भी जो निकले
उन निकले ख्वाबों में जीना

कितना कुछ है कहने को
है अब भी इच्छा रहने  को
कितना भी हम सफ़ल हो  जायें
याद  में  तो  कॉलेज दिन आयें

ऐसी लाइफ कहाँ मिलेगी
ऐसे साथी कहाँ मिलेंगें
बस केवल यादें रह जानी
आँसू की  नदियाँ बह जानी


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