Wednesday 14 August 2013

तिरंगे की नयी खुशुबू नया अहसास लायेंगें
छा दुनिया के उच्च शिखर पे फिर  इतिहास बनायेंगें
जो  छुरे शांति के धोखे से हमपे आ रहें हैं
बता दो आज उनसे हम उन्ही
शेखर ,भगत, बिश्मिल को फिर से ला रहें हैं

हमारे शांति पथ के मार्ग को बाजी न तुम  जानो
लुटाते  जान जो हंस कर ,उड़ाना धड़ भी हम जानें
हमें है प्यार इस धरती से बिलकुल माँ के ही जैसा
कफन हम बांध के सर पे सदा तैयार रहते हैं

वतन के  आरज़ू  जीना
वतन के आरजू मरना
लहू की आखिरी बूँ भी
वतन पे ही  फ़ना करना

जय भारत ,जय मातृभूमि

इसको इतना फैलावो की उन्में दहसत भर जाये
जिनके मनसूबे अभी भी नापाक हैं  

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