ये चमक फीकी नही है ,रौशनी धुंधली लगे ,
आज के तसबीर में यह चाँदनी सी खिलगई
क्यों ना हो जब एक खिलता सा सितारा
खुद ब खुद मदहोश हो
आवारगी को चार
करने चल पड़ा है
आज के तसबीर में यह चाँदनी सी खिलगई
क्यों ना हो जब एक खिलता सा सितारा
खुद ब खुद मदहोश हो
आवारगी को चार
करने चल पड़ा है
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