Wednesday 18 September 2013

मन आज फिर उदास है ,
भावनाओं को व्यक्त करने की आस है
मन आज फिर उदास है

मैखाने की तलाश पूरी तो नहीं,
जीवन के पैमाने की आस है
मन आज. … फिर उदास है

कीमत पता है ,जाना कहाँ है
जानते हैं सब कुछ माना कहाँ हैं
बेबस हैं ,लाचार हैं ,
खोज है तो शामियाने की

बुनियाद तो झूठी नहीं ,
गुलाम क्यूँ हैं परिस्थितयों के
टूटे हुए मन से निराशा झलकती है
कुछ आशा तो बची है पर समाधान की तलाश है 
मन आज फिर उदास है ,मन आज फिर उदास है

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