इन हसीं लम्हों को कुछ पल और बढ़ा दो
आँखों कि गुमशुदगी को अब चाहत से दूर मिटा दो
ये इकरारे जश्न है जो दूरियाँ मिटाता है
नहीं तो झूठी मोह्हबत का फ़साना
आजकल हर कोई बेमौसम ही गाता है
आँखों कि गुमशुदगी को अब चाहत से दूर मिटा दो
ये इकरारे जश्न है जो दूरियाँ मिटाता है
नहीं तो झूठी मोह्हबत का फ़साना
आजकल हर कोई बेमौसम ही गाता है
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