ए दोस्त जिंदगी का सफ़र हम सब से कभी न छुटे
हम साथ जो तेरे तो रब भी कभी न रूठे
मैं सोचता हूँ आज भी औ कल भी साए के जैसा साथ तेरा
ऐसे मस्तियाँ कर जायें की रब भी सुने तो हंसी छुटे।
हम साथ जो तेरे तो रब भी कभी न रूठे
मैं सोचता हूँ आज भी औ कल भी साए के जैसा साथ तेरा
ऐसे मस्तियाँ कर जायें की रब भी सुने तो हंसी छुटे।
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