Thursday 3 October 2013

मैं क़िस से बात करूँ
और किस से न करूँ
परेशानियों की जड़ है
ये साली   …  जिंदगी

कभी इधर कभी उधर
कभी आर कभी पार
लगाती है हर बार
सजाती है कुछ प्यार

जिंदगी है ऐसे क्यूँ , कि
कुछ परेशांन  सा रहता हूँ
हर उस साये से अनजान सा रहता हूँ
दिखाती है क्या क्या ??
सिखाती  भी यही है, ये साली जिंदगी . . .

ये जिंदगी है क्या. .  . .
कोई पहेली ??
सुलझ़ाती  भी तो  नहीं है
सवालों से भरी रहती

उलझनो से परे रहती
पर जिंदगी तो जिंदगी है
कुछ तो खास बनाती है
जो तोहफों से सजाती है

बस समझने का फेर है
नहीं क्या क्या अरमान दिखाती है
पाने की देर है ,बस
नहीं, सबको ये हंसाँती है
बस समय का फेर है

इसीलिए इस जिंदगी में देर है
क्यूंकि , बस समय का फेर है   .   

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