माँ …. . .
तेरे प्यार की शुरुवात हो चली है
दर्शन के आस की ,अब प्यास बढ़ चली है '
नित नए रूपों में ,स्वागत है तुम्हारा
ये दास अब जीवन का हर ज्ञान हारा
दर्शन दो ,भक्ति दो ,ज्ञान अब बढा दो
मेरे हर पीड़ा को ,दया कर उडा दो
समर्पण कर खुद को ,
चरणों की रज धारी है
माँ अब तेरे दर्शन की
हम सब ने कर रखी तैयारी है
हम बालक हैं ,अज्ञानी हैं
हम तुक्ष हैं हम नादानी हैं
माँ हम पर अब एह्सान करो
माँ हम पर इतना ध्यान धरो
तेरे प्यार की शुरुवात हो चली है
दर्शन के आस की ,अब प्यास बढ़ चली है '
नित नए रूपों में ,स्वागत है तुम्हारा
ये दास अब जीवन का हर ज्ञान हारा
दर्शन दो ,भक्ति दो ,ज्ञान अब बढा दो
मेरे हर पीड़ा को ,दया कर उडा दो
समर्पण कर खुद को ,
चरणों की रज धारी है
माँ अब तेरे दर्शन की
हम सब ने कर रखी तैयारी है
हम बालक हैं ,अज्ञानी हैं
हम तुक्ष हैं हम नादानी हैं
माँ हम पर अब एह्सान करो
माँ हम पर इतना ध्यान धरो
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